त्रिपुरा की कैलासहर में बारी-बारी से नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म

उत्तम सिन्हा की रिपोर्ट (CRIME)

 शर्मनाक, घृणित, असभ्य, सनसनीखेज, अमानवीय - ये शब्द भी आज की और भी घातक घटना के सामने फीके हैं। तीन दोस्तों ने एक नाबालिग लड़की का जबरन अपहरण कर लिया और उसे कैलाशहर के मनुवाली चाय बागान के घने जंगल में ले गए। फिर बारी-बारी से नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। लड़की का भविष्य, उसकी चीखें, उसकी भौहें, सब कुछ उस चाय बागान के गहरे जंगल में गूँजते और घुलमिल गए। घटना पर किसी का ध्यान नहीं गया, और उस घोर बर्बरता का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर फैला दिया गया। हालांकि सौभाग्य कि लड़की की जान बच गई, लेकिन तीन लकड़बग्घों ने उसके सुनहरे भविष्य के आईने पर कालिख पोत दी। लड़की हर दिन मरेगी, और हर दिन जीयेगी। घटना कैलाशहर के फुलबारीकांडी इलाके की है.

2 among 3 accused persons 

तारीख थी 25 दिसंबर, 2023, सुबह करीब दस बजे। कैलाशहर थाना अंतर्गत फुलबारीकांडी इलाके की अल्पसंख्यक समुदाय की एक पंद्रह वर्षीय लड़की किसी काम से अपने घर से निकली और बाजार की ओर चली गई। अचानक एक मारुति कार आई और उसका रास्ता रोक लिया। दो कार से उतरे, उसका मुंह दबाया और उसे कार में खींच लिया। कार मनु वैली टी गार्डन के घने जंगल की ओर मुड़ जाती है। वहां एक कट्टरपंथी युवक ने उसे चाकू मारने की धमकी दी और जबरन फोटो खींच ली। फिर उसने उसे बगीचे में एक छोटे से सूखे नाले में फेंककर उसके साथ जबरन बलात्कार किया। एक-एक कर तीनों ने नाबालिग के साथ बेहद हैवानियत की और अपनी प्यास बुझाई। यहां तक ​​कि दुष्कर्म की घटना का पूरा वीडियो बनायि और सोशल मीडिया पर प्रचार कर दिया। ऊनकोटी जिले के हर मोबाइल फोन से होता हुआ देश विदेश में पहुंच गया। उस वीडियो में लड़की की चीखें साफ सुनी जा सकती हैं, लेकिन चीखें कोई सुन नहीं सका। 

बाद में घटना सामने आने के बाद रब्बी भागने लगे। अंत में कैलाशहर महिला थाने तख पहुंची घटना। लेकिन आरोपी अभी भी पकड़ से बाहर हैं, जनता में गुस्सा उबल रहा है। परिवार इस वक्त बेहद असुरक्षा से जूझ रहा है और उस परिवार ने शर्म के मारे खुद को बाहरी रोशनी से दूर कर लिया है। समाज की थूक सहने की क्षमता खो दी है। प्रभावित लड़की की माँ का एक बयान--'यदि बच्चा लड़की के रूप में पैदा हुआ है, तो उसे शुरू में ही मार देना बेहतर है' पूरे सिस्टम पर एक तमाचा जैसा महसूस कर रही हैं आम जनता। 


जिला पुलिस अधीक्षक कांता जहांगीर स्वयं एक महिला हैं, यहां एक महिला पुलिस थाना और अंत में अदालत भी है। लोगों के चेहरे पर बस एक ही प्रश्न है---क्या कोई मिटा सकता है उस परिवार के भीषण दर्द की कहानी? क्या कोई अदालत लड़की का कौमार्य लौटा सकती है? क्या लकड़बग्घों के दिल से पुलिस प्रशासन या सजा का डर खत्म हो गया है? जवाब कौन देगा, अब यही सवाल है.


 

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